Video: उत्तराखंड दिवस पर सुनिए ये बेहतरीन गीत, अपने-अपने गांव को याद कीजिए
18 साल का उत्तराखंड..इस दिन को खास बनाइए और ये बेहतरीन गीत जरूर सुनिए। ये गीत आपको अपने गांव की याद जरूर दिलाएगा।
Nov 9 2018 8:20AM, Writer:रश्मि पुनेठा
देवभूमि भी ये ही है, मातृभूमि भी ये ही है, सिर भी यहीं झुकता है, ख्वाब भी यहीं पलता है..हमारे और आपके सपनों का उत्तराखंड, जहां हम सभी ने गांव की गोद में अपना बचपन बिताया है। आज हम सब भले ही सब कुछ छोड़कर शहरों में आ चुके हैं लेकिन गांव अभी भी वहीं हैं। देवताओं के थान भी अभी वहीं हैं, खेत खलिहान भी अभी वहीं हैं...बस कुछ सूनापन है आपके बिना। उस सूनेपन का अहसास दिलाने के लिए ये गीत आपके सामने है। ये गीत छोटा सा जरूर है लेकिन शानदार शब्दों के ताने-बाने में इस गीत को बुना गया है। बागेश्वर के कविंद्र सिंह यानी आरजे काव्य ने इस गीत को लिखा है और उनका साथ दिया आनंद कानू ने। आकांक्षा ने इस गीत में अपनी आवाज़ दी है, जो कानों को अच्छी लगती है।
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आज उत्तराखंड का युवा जानता है कि उनके बिना उनका गांव कैसा सूना पड़ा है। आज का युवा अच्छी तरह से जानता है कि उसके लिए वापस अपने गांव में लौटना कितना जरूरी है। आरजे काव्य और उनकी टीम ने इस बात को इस गीत के जरिए समझाने की कोशिश की है और रिवर्स माइग्रेशन के असली मतलब को समझाने की कोशिश की है। आप भी देखिए।