उत्तराखंड: ऋषिकेश एम्स में भर्ती हुई ‘दामिनी’, दिल्ली एम्स भेजने की तैयारी...दुआ कीजिए
उत्तराखंड में उबाल है। पौड़ी गढ़वाल में छात्रा को जिंदा जलाने की कोशिश की गई। हर तरफ से आरोपी को फांसी देने की मांग उठ रही है।
Dec 17 2018 9:52AM, Writer:कपिल
शायद किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा वहशीपन का खेल उत्तराखंड में खेला जाएगा। एक सिरफिरे में पौड़ी गढ़वाल में छात्रा को जिंदा जलाने की कोशिश की है। बताया जा रहा है कि छात्रा की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। छात्रा को मेडिकल कालेज श्रीनगर से ऋषिकेश एम्स के लिए रेफर कर दिया गया है। खबर ये भी आ रही है कि छात्रा को दिल्ली एम्स भेजने की तैयारी है। उधर जिलाधिकारी ऑफिस के बाहर युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया। आरोपी युवा को फांसी देने की मांग जोर पकड़ रही है। खबर है कि राजस्व पुलिस ने IPC की धारा 354 307 और 506 की धाराओं में हत्या की कोशिश का केस दर्ज कर लिया गया। डॉक्टर्स का कहना है कि छात्रा करीब 70 फीसदी झुलस गई है। इस वजह से उत्तराखंड में उसका इलाज होना संभव नहीं है। दिल्ली एम्स रेफर करने की तैयारी है।
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ये वारदात पौड़ी जिले के कफोलस्यूं पट्टी की है। बीएससी सेकेंड ईयर की छात्रा प्रैक्टिकल परीक्षा देकर स्कूटी से घर की तरफ लौट रही थी। इस बीच गहड़ गाव का शख्स मनोज उसका पीछा करते हुए भीमली तक आ पहुंचा। उसने पहले युवती का रास्ता रोका और फिर जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब छात्रा ने इस बात का विरोध किया, तो हैवान शख्स ने उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया। इसके बाद आरोपी मौके से भाग गया। इलाका सुनसान था और छात्रा की चीख किसी को नहीं सुनाई दी। इस बीच वहां से गुजर रहे एक शख्स ने छात्रा को झुलसी हालत में पड़े देखा और तुरंत पुलिस को खबर कर दी। तुरंत ही आपात कालीन सेवा की मदद से छात्रा को जिला अस्पताल पौड़ी लाया गया।
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शुरुआती इलाज किया गया लेकिन छात्रा की हालत बेहद खराब हो गई थी। इसके बाद छात्रा को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि छात्रा का शरीर लगभग 70 प्रतिशत झुलसा हुआ है। हमला करने वाला शख्स अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। शुरुआती जांच कहती है कि आरोपी शख्स तीन चार दिन से छात्रा को परेशान कर रहा था। इस वारदात के बाद से इलाके के लोग गुस्से में हैं।
सवाल ये है कि आखिर पहाड़ पर ये किसकी नज़र लग गई? आखिर इस मानसिकता को क्या हो गया है? पहाड़ में अब तक ऐसी खबरें बहुत कम सुनने को मिली हैं, ऐसे में ये खबर रौंगटे खड़े कर देती है और साथ ही सवाल खड़े करती है कि क्या वास्तव में पहाड़ में भी अब बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई ?