उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चों वाले नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव..शैक्षिक योग्यता भी देखी जाएगी
इस बार केवल दो बच्चे वाले प्रत्याशी ही पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे। नगर निकाय की तरह त्रिस्तरीय पंचायतों में भी सरकार ये प्रावधान लागू कर सकती है।
May 7 2019 1:33PM, Writer:आदिशा
उत्तराखंड में जल्द ही पंचायती चुनाव होने वाले हैं, लेकिन चुनाव से ऐन पहले संभावित प्रत्याशियों को एक बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि इस बार दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। नगर निकाय की तरह त्रिस्तरीय पंचायतों में भी सरकार ये प्रावधान लागू कर सकती है। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में शासन में सहमति बन गई है, जल्द ही इस पर फैसला भी आ जाएगा। कुल मिलाकर उन प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, जिनके 2 से ज्यादा बच्चे हैं और वो इस बार भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। खबर ये भी है कि ये व्यवस्था हरिद्वार में लागू नहीं होगी। हरिद्वार को छोड़ बाकि के 12 जिलों में इस बार दो से ज्यादा बच्चे वाले लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यही नहीं पंचायत प्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी निर्धारित की जाएगी, इस पर भी मंथन चल रहा है।
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लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इन दोनों बिंदुओं पर मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। उत्तराखंड में सितंबर में पंयायत चुनाव हो सकते हैं, क्योंकि 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। चुनाव से पहले पंचायती राज एक्ट की कुछ व्यवस्थाओं में सरकार संशोधन कर सकती है। इसमें दो बच्चों की शर्त के साथ ही प्रतिनिधियों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का निर्धारण शामिल है। पिछले साल पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने अधिकारियों को मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे। न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारण को हरियाणा व राजस्थान के पंचायतीराज एक्ट का अध्ययन करने को कहा गया था। आपको बता दें कि नगर निकाय चुनाव में ये व्यवस्था पहले से ही लागू की जा चुकी है, न्याय विभाग से भी इस फैसले पर ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। इसके लिए हरियाणा मॉडल को सबसे बेहतर माना गया है। आपको बता दें कि हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य है। इस मसले पर तीन दौर की बैठकें शासन स्तर पर हो चुकी हैं। अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा, जिसके बाद कहीं जाकर फाइनल फैसला होगा।