image: chai village of uttarakhand chamoli garhwal

देवभूमि के इस गांव में है माता सीता का प्राचीन मंदिर, यहीं से शुरू हुआ था रावण का महाविनाश

देवभूमि का चांई गांव वही जगह है, जहां रावण के महाविनाश की कहानी रची गई, यहां आज भी रामायण के सबूत मिलते हैं...
Aug 3 2019 11:27AM, Writer:Komal Negi

रामायण की कहानी आम भारतीय जनमानस के जीवन का अहम हिस्सा है। ये कहानी हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश तो देती ही है, साथ ही माता सीता की तरह धैर्य रखने की सीख भी। राम-रावण की कथा तो आप सभी जानते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के महाविनाश की कथा हमारी देवभूमि में ही रची गई थी। इसी देवभूमि में वो जगह स्थित है, जहां रावण को भगवान श्रीराम के हाथों मृत्यु का, महाविनाश का श्राप मिला था। ये जगह है चमोली के जोशीमठ में स्थित चांई गांव, जहां आज भी माता सीता का प्राचीन मंदिर है। कहते हैं यही वो जगह है जहां तपस्यारत वेदवती ने रावण को श्राप देते हुए कहा था कि वो ही उसके महाविनाश की वजह बनेंगी। रावण को श्राप देने के बाद देवी वेदवती पाषाण की प्रतिमा में बदल गईं। चाईं गांव के अति प्राचीन मंदिर में आज भी माता सीता की पाषाण प्रतिमा स्थापित है। ये देश का एकमात्र मंदिर है, जहां माता सीता की पाषाण प्रतिमा के अलावा किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। साल 1960 से पहले यहां प्राचीन पठाल वाला मंदिर था, जिसे अब नया रूप दिया गया है।

यह भी पढें - उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं के लिए जरूरी खबर, कृषि विभाग में सीधी भर्ती...ऐसे करें अप्लाई
मंदिर की स्थापना के पीछे कई मान्यताएं हैं। कहते हैं कि सतयुग के आखिरी चरण में माता सीता ने राजा कुशध्वज की पुत्री वेदवती के रूप में जन्म लिया था। वेदवती ने देवभूमि में तपस्या की, पर जब रावण ने उन्हें छूने की कोशिश की तो वेदवती पाषाण प्रतिमा में तब्दील हो गईं। इससे पहले उन्होंने रावण को महाविनाश का श्राप दिया। त्रेता युग में यही वेदवती माता सीता के रूप में राजा जनक के घर जन्मीं और उसके महाविनाश का कारण बनीं। चांई गांव में आज भी माता सीता को आराध्य के तौर पर पूजा जाता है। यहां माता सीता के जागर लगते हैं। माता सीता के मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति उठा रही है। गांव वालों का माता सीता पर अटूट विश्वास है। वो कहते हैं कि साल 2007, 2013 और फिर 2018 में इस क्षेत्र में भीषण आपदा आई, पर गांव हमेशा सुरक्षित रहा। चांई गांव जोशीमठ से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां दशहरे और नंदाष्टमी के मौके पर माता सीता का आह्वान किया जाता है, माता सीता के जागर लगते हैं। कहते है सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना माता सीता जरूर पूरी करती हैं।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home