उत्तराखंड: भारी बर्फबारी के बाद आफत, 500 से ज्यादा गांवों से संपर्क टूटा..जानिए अपने जिले का हाल
उत्तराखंड में भारी बर्फबारी ने कई साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस बीच सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जिनका जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। अलग अलग जिलों का हाल जानिए
Jan 10 2020 11:16AM, Writer:कोमल
इस बार बर्फबारी जमकर हुई है। उत्तराखंड में 40 साल बाद ऐसा नज़ारा देखने को मिल रहा है। जहां कई सालों से बर्फ नहीं पड़ी, वो जगहें भी बर्फ से लकदक हो गई हैं। इस बर्फबारी ने पहाड़ के लोगों की मुश्किलें भी बढ़ाई हैं। कई गांव ऐसे हैं, जिनका जिला मुख्यालय से संपर्क ही टूट गया है। आइए एक एक करके आपको इस बारे में जानकारी देते हैं।
चमोली जिले में लगातार हो रही बर्फबारी से 166 गांव प्रभावित हुए हैं। फिलहाल इन गांवों में राशन का संकट नहीं है, लेकिन पूíत विभाग ने बर्फ से प्रभावित इन गांवों में यदि राशन नहीं भेजा, तो ग्रामीणों को खाने के लाले पड़ सकते हैं।
चमोली जिले में बर्फबारी से 166 गांव अभी भी प्रभावित हैं। जबकि तीन मुख्य मार्गों के अलावा 24 सड़कें अभी भी बंद पड़ी हैं। 17 गांवों की बिजली आपूíत ठप है। हिमच्छादित 160 गांवों में पानी की दिक्कत है। लोग प्राकृतिक स्त्रोत या बर्फ पिघलाकर पानी पी रहे हैं। 30 से अधिक गांवों में पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त पड़ी है। आगे जानिए बाकी जिलों का हाल
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उत्तरकाशी में बर्फबारी की वजह से 200 गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। बर्फबारी की वजह से 500 से ज्यादा गांवों में बुधवार शाम से बिजली गुल है, 150 से अधिक गांव बर्फबारी से पूरी तरह ढ़के हुए हैं। साथ ही गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे से 50 से अधिक मोटर मार्ग बंद हैं, जिससे 200 से अधिक गांवों का मुख्यालय से संपर्क कट गया है।
रुद्रप्रयाग जिले के दूरस्थ ऊंचाई वाले गांवों में ग्रामीण मुसीबत से जूझ रहे हैं। 72 गांव बर्फ से ढ़के हुए हैं, जबकि 90 से गांवों में बिजली नहीं है। केदारनाथ में सात फीट से अधिक बर्फ जम चुकी है। तुंगनाथ, मध्यमेश्वर समेत ऊंचाई वाले सभी स्थानों पर तीन से चार फीट बर्फ जम गई है।
टिहरी जिले में 350 गांवों में बुधवार रात से बिजली गुल है, जबकि पचास गांवों की आबादी घरों में कैद होकर रह गई है। कुल मिलाकर कहें तो इनका मुख्यालय से संपर्क कट गया है। खासतौर पर जौनपुर ब्लॉक में धनोल्टी और सकलाना क्षेत्र में तीन फीट से ज्यादा बर्फ के कारण ग्रामीण घरों में कैद हो गए हैं। यही नहीं, पचास गांवों में पानी की पाइप लाइन भी जम गई है।