image: Shreelesh maday made tractor in iim kashipur uttarakhand

उत्तराखंड: किसान के बेटे का शानदार आविष्कार, अब पहाड़ के खेतों में भी दौड़ेंगे ट्रैक्टर

काशीपुर आईआईएम में किसान के बेटे ने अनोखा ट्रैक्टर बनाया है, इसे खासतौर पर पहाड़ों में खेती के लिए डिजायन किया गया है, जिससे पहाड़ में खेती करना आसान हो जाएगा...
Feb 21 2020 5:14PM, Writer:komal

पहाड़ में खेती करना आसान नहीं है। खेती के लिए लोग प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। कठिन मेहनत करने के बाद भी काश्तकारों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता। यही वजह है कि अब लोग खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं। पहाड़ की अपेक्षा मैदानों में खेती करना आसान है, किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन पहाड़ में ये संभव नहीं। ऐसे किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। अब वो भी पहाड़ में खेती के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर सकेंगे। आईआईएम में किसान के बेटे ने एक अनोखा ट्रैक्टर बनाया है, जो पहाड़ की खेती में इस्तेमाल होगा। इससे किसानों की मुश्किल काफी हद तक आसान हो जाएगी। इस अनोखे ट्रैक्टर का नाम है ट्रैक्ड्रिल, जिसे श्रीलेश माडेय ने बनाया है। उन्होंने आईआईएम काशीपुर के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट में तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद ये ट्रैक्टर तैयार किया। किसान इस ट्रैक्टर को दो लाख रुपये में खरीद सकेंगे।

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श्रीलेश के काम से प्रभावित होकर आईआईएम ने कृषि मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को फंड जारी करने की संस्तुति की है। ऐसा हुआ तो पांच से छह लाख में मिलने वाले ट्रैक्टर के विकल्प के तौर मात्र दो लाख रुपये खर्च कर ट्रैक्ड्रिल खरीदा जा सकेगा। अनोखा ट्रैक्टर बनाने की प्रेरणा श्रीलेश को कैसे मिली, ये भी बताते हैं। श्रीलेश पुणे के ओजर गांव के रहने वाले हैं। पिता किसान हैं। वो खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति से मजबूर थे। इसीलिए श्रीलेश हाईस्कूल के बाद से ही ट्रैक्ड्रिल बनाने की तैयारी में जुट गए। इस बीच शिवनगर इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। यहां ट्रैक्ड्रिल के मॉडल को नया रूप मिला। बाद में उन्होंने आईआईएम काशीपुर की मदद से काम को आगे बढ़ाया। विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मॉडल की प्रस्तुति के लिए 10 लाख रुपये का बजट दिया था। इसके बाद 25 लाख की अतिरिक्त मंजूरी के लिए कृषि मंत्रालय को भी प्रोजेक्ट भेजा गया। वहां पेटेंट कराने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। ट्रैक्ड्रिल को पहाड़ की खेती के अनुसार डिजाइन किया गया है। इससे वह ऊंची चढ़ाई आसानी से पार करने में सक्षम है। खास बात यह है कि ये कम जगह में मुड़ भी जाएगा। जिससे किसान जुताई और फॉगिंग भी आसानी से कर सकेंगे। श्रीलेश का आविष्कार अनोखा है और उपयोगी भी, ट्रैक्ड्रिल से पहाड़ में दम तोड़ती खेती को जीवनदान मिलेगा।


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