image: Ben Baba arrives in Uttarakhand from Switzerland

जय देवभूमि: स्विट्जरलैंड से पैदल उत्तराखंड पहुंचे बेन बाबा..6000 Km चले, 18 देश पार किए

स्विट्जरलैंड के रहने वाले बेन बाबा ने भारत पहुंचने के लिए साढ़े छह हजार किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। इस दौरान उन्होंने कुल 18 मुल्क पार किए।
Mar 26 2021 10:44AM, Writer:Komal Negi

ज्ञानी व्यक्ति जानते हैं कि जीवन में क्या जरूरी है। मानसिक जगत में आगे बढ़ने को हम प्रगति नहीं कह सकते। सिर्फ भौतिक समृद्धि हमें शांति के पथ पर नहीं ले जा सकती। स्विट्जरलैंड से हरिद्वार पहुंचे बेन बाबा जीवन से जुड़े ऐसे ही रहस्यों को सुलझाना चाहते थे। मन में उठ रहे इन सवालों का जवाब उन्हें भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग में मिला। जीवन में शांति की तलाश उन्हें हजारों किलोमीटर दूर भारत के हरिद्वार ले आई। स्विट्जरलैंड के रहने वाले बेन बाबा ने साढ़े छह हजार किलोमीटर की दूरी पैदल तय की है। इस दौरान उन्होंने यूरोप से टर्की, ईरान, आर्मेनिया, जॉर्जिया, रशिया, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, चीन और पाकिस्तान समेत कुल 18 मुल्क पार किए। पैदल चलते हुए भारत तक पहुंचने में उन्हें पांच साल लगे। जिस देश का बॉर्डर आने वाला होता था, वो उसके लिए पहले ही वीजा अप्लाई कर देते थे। इन दिनों बेन बाबा हरिद्वार में कुंभ स्नान के लिए आए हुए हैं। 33 साल के बेन बाबा पेशे से वेब डिजाइनर हैं। स्विट्जरलैंड में वो हर घंटे करीब 10 यूरो कमाते थे। घर, गाड़ी और लग्जरी लाइफ सबकुछ उनके पास था, लेकिन मन अंदर से खुश नहीं था। आगे पढ़िए

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इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति और योग के बारे में पढ़ा और आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए स्विट्जरलैंड छोड़ दिया। बेन कहते हैं खुशी को पैसों से कभी नहीं खरीदा जा सकता है। खुशी तो योग और ध्यान से मिलती है। अब वो अपना पुराना जीवन पीछे छोड़कर अध्यात्म और योग में रम गए हैं। बेन फक्कड़ हैं। उनके पास न तो पैसा है और न ही ठौर ठिकाना। पैदल सफर में जहां थकान लगी, वहीं अपना ठिकाना ढूंढ लेते हैं। सफर में खाने के लिए जिसने जो दिया, उसे खाकर पेट भरते हैं। बेन बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं। यही नहीं उन्हें गायत्री मंत्र और गंगा आरती कंठस्थ याद है। वो कभी हरकी पैड़ी तो कभी गंगा किनारे टहलते नजर आते हैं। बेन को नंगे पैर गायत्री मंत्र का जाप करते और गंगा आरती करते देख श्रद्धालु भी अचंभित रह जाते हैं। वो हिमाचल के कांगड़ा से 25 दिनों के पैदल सफर के बाद हरिद्वार पहुंचे हैं।

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