image: Gartangali Uttarkashi open for tourists

उत्तराखंड: खुल गया दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार रास्ता, आप भी चले आइए

दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली को पर्यटकों के लिए खोला जा चुका है, जाने से पहले पढ़ लीजिए यह नियम
Aug 18 2021 8:27PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

क्या आप भी रोमांच के शौकीन हैं और एडवेंचर करना आपको भी पसंद है? तो यह खबर आपके लिए सुखद साबित होने वाली है। उत्तरकाशी की गर्तांगली आपको याद है न? जी हां, वही गर्तांगली जिसको दुनिया के सबसे खतरनाक रास्ते में शुमार किया गया है। आखिरकार लंबे समय के इंतजार के बाद रोमांच से भरा रास्ता पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। जी हां, अगर आप भी रोमांच के शौकीन हैं तो अब आप बिना किसी रोक-टोक के गर्तांगली जा सकते हैं। हालांकि इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को जारी गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने उप निदेशक गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क और जिला पर्यटन विकास अधिकारी को ट्रैक में आने वाले पर्यटकों से कोविड एसओपी और अन्य नियमों का पालन करवाने के निर्देश दे दिए हैं। भैरवघाटी के पास चेकपोस्ट बनाकर उस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों का पंजीकरण भी होगा। कुल मिलाकर कर रोमांच का आनंद लेने के साथ ही पर्यटकों को कोविड की गाइडलाइंस का पालन भी करना होगा।

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उत्तरकाशी जिले के सीमांत क्षेत्र नेलांग घाटी के लिए भैरोंघाटी के समीप गर्तांगली में खड़ी चट्टानों को काटकर यह सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है जो कि लकड़ी से निर्मित है। इसकी लम्बाई 136 मीटर और चौड़ाई 1.8 मीटर है। प्राचीन समय में इस मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार करते थे और सेना द्वारा सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग किया जाता था। वर्तमान में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क द्वारा गर्तांगली के क्षतिग्रस्त ट्रैक मार्ग का पुनर्निर्माण किया गया है और चट्टानों को काट कर इसको लकड़ी से बनाया गया है। इस ट्रैक को पार करते समय यह कदापि न भूलें कि गर्तांगली दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रैक पर एक बार में अधिकतम दस लोग ही चलेंगे। वे भी एक मीटर की दूरी बनाकर ही चलेंगे। ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन या फिर बैठना प्रतिबंधित होगा। यहां उछल-कूद जैसे क्रियकलाप भी मना है। इसके अलावा ट्रैक की रैलिंग से नीचे झांकना मना है। ट्रैक को जुलाई में यात्रियों के लिए खोला जाना तय हुआ था मगर निर्माण कार्य में देरी के चलते ट्रैक को आखिरकार अगस्त में खोला गया है। इस ट्रैक को बनाने में 64 लाख रुपए की लागत लगी है। इस पुल का निर्माण 150 साल पहले पेशावर से आए पठानों ने किया था और यह पुल 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। नीचे देखने पर अनंत खाई नजर आती है और आज भी यह पुल रोमांच से भर देता है। यह सबसे पुराना व्यापारिक मार्ग हुआ करता था और यहां से गुड़, मसाले वगैरा भेजे जाते थे। 1975 के बाद पुल को बंद कर दिया गया और अब आखिरकार इसका पुनर्निर्माण कर इस पुल को फिर से एडवेंचर के प्रेमियों के लिए खोल दिया गया है।


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