उत्तराखंड में 12 साल बाद फिर खिला बेहद दुर्लभ जोंटिला का फूल, जानिए इसकी खास बातें
यह पौधा समुद्र तल से पांच हजार से साढ़े सात हजार फिट ऊंचाई वाले स्थानों में उगता है। कश्मीर से लेकर नेपाल और भूटान तक इसकी मौजूदगी देखी गई है।
Sep 14 2023 7:13PM, Writer:कोमल नेगी
कुदरत ने उत्तराखंड को अपनी अनमोल नेमतों से नवाजा है। इन दिनों नैनीताल की खूबसूरत वादियों में भी प्रकृति का एक ऐसा शानदार तोहफा देखने को मिल रहा है
Zontilla urticae dioica flower bloomed in nainital
जिसे देखने के लिए 12 साल तक इंतजार करना पड़ता है। यहां कंडाली या जोंटिला का फूल खिल उठा है, इसका बॉटनिकल नाम आर्टिका डायोसिया है। नैनीताल में चारखेत, हनुमानगढ़ी के समीप कैमल्स बैक पहाड़ी के नीचे और बल्दियाखान से पहले कई जगह ये खूबसूरत फूल अपनी छटा बिखेर रहा है। इस पौधे को 1973 में देहरादून के मसूरी में डॉ. एस विश्वास, जबकि पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र चौंदास घाटी में वर्ष 2000 में डॉ. एसएस सामंत ने रिपोर्ट किया है। यह समुद्र तल से पांच हजार से साढे सात हजार फिट ऊंचाई वाले स्थानों में उगता है। कश्मीर से लेकर नेपाल और भूटान तक इसकी मौजूदगी देखी गई है।
पर्यावरणविद पद्मश्री अनूप साह के अनुसार यह जोंटिला का फूल उन्होंने सबसे पहले 1975 में देखा था। फिर 1987 में, 1999 में, 2011 में भी यह रिपोर्ट किया गया। इसी साल 12 सितंबर को उन्होंने फूल का पांचवां चक्र देखा। इस पौधे का शहद अत्यधिक पौष्टिक होता था। पिथौरागढ़ की चौंदास घाटी में तो जनजाती समाज की ओर से कंडाली उत्सव भी मनाया जाता है, इस साल यह आयोजन 25-26 व 27 अक्टूबर को तय है। कंडाली का पौधा कई बीमारियों के इलाज में लाभदायक है। जोंटिला, हिमालय के मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों की दक्षिणी ढालों में पाया जाने वाला एक विशिष्ट बहुवर्षीय शाकीय पौधा है, जो 12 साल में अपना जीवन चक्र पूरा करता है। इसकी जड़ अतिसार रोग के उपचार में प्रयुक्त होती है और डंडी स्थानीय समुदाय रस्सी व जाल बनाने में उपयोग में लाता रहा है।