image: uttarakhand martyr mohan singh wife uma devi

उत्तराखंड शहीद की पत्नी की प्रतिज्ञा-‘जब तक बेटे को आर्मी अफसर नहीं बनाया, तब तक गांव नहीं लौटूंगी’

उमा देवी के पति मोहन सिंह कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे, अब उमा अपने बेटे को आर्मी अफसर बनता देखना चाहती हैं...
Jul 27 2019 12:50PM, Writer:कोमल नेगी

साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में देश ने अपने सैकड़ों जवानों को खो दिया। ये जवान तो घर ना लौटे, लेकिन इनकी वीरता की कहानियां घर जरूर लौटीं। इनके शौर्य के किस्से आज भी उत्तराखंड के गांवों में सुनाई देते हैं। इन्हीं जांबाजों में से एक थे बागेश्वर के शहीद नायक मोहन सिंह। कारगिल युद्ध में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। मोहन सिंह तो घर नहीं लौटे, लेकिन उनकी वीरता ने पत्नी उमा देवी को इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने ठान लिया कि बेटे को आर्मी अफसर जरूर बनाएंगी। उमा देवी ने बेटे को आर्मी अफसर बनाने के लिए गांव तक छोड़ दिया और कहा कि अब वो गांव तभी लौटेंगी जब बेटा सेना में अफसर बन जाएगा। शहीद मोहन सिंह और उमा देवी का बेटा प्रहलाद ग्रेजुएशन कर चुका है, और सीडीएस की कोचिंग कर रहा है। आगे जानिए पूरी कहानी

यह भी पढें - उत्तराखंड के दो जांबाज, कारगिल युद्ध के हीरो..16 दिन तक खाना छोड़कर लड़ी थी जंग
नायक मोहन सिंह कपकोट तहसील के कर्मी गांव के रहने वाले थे। साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में वो शहीद हो गए। मोहन सिंह अपने पीछे तीन छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ गए थे। जिनकी जिम्मेदारी पत्नी उमा पर आ गई। पति की शहादत के बाद उमा बच्चों को लेकर हल्द्वानी आ गईं, ताकि उनकी पढ़ाई अच्छी तरह हो सके। बड़ी बेटी रंजना की शादी हो गई है, जबकि छोटी बेटी मिताली एमफार्मा कर रही हैं। बेटा सीडीएस की कोचिंग कर रहा है। उमा कहती हैं कि उन्हें कर्मी गांव छोड़ने का बेहद अफसोस है। गांव का घर उन्हें बहुत याद आता है। अब वो चाहती हैं कि बेटा जल्द ही आर्मी ज्वाइन कर ले। इसके बाद ही वो अपने गांव लौटेंगी। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मेरा परिवार शहीद के परिवार के तौर पर जाना जाता है। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए आगे आना चाहिए। साथ ही सरकार को भी शहीदों के परिवार का ध्यान भी रखना चाहिए।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home