image: Vigilance raid in rto office Dehradun and arrested broker during taken bribe

देहरादून RTO में दलालों का राज? अफसर की कुर्सी पर बैठकर वसूली कर रहा था दलाल

आरटीओ दफ्तर के बाहर दलालों की मंडी सजी रहती है, जब तक इन्हें चढ़ावा न चढ़ाओ आरटीओ में कोई काम नहीं होता...
Nov 22 2019 10:27AM, Writer:कोमल नेगी

देहरादून का आरटीओ ऑफिस दलालों का अड्डा बन गया है। ये बात जानते सभी हैं, पर फिर भी सब चुप रहते हैं। गुरुवार को जब विजिलेंस ने आरटीओ दफ्तर में छापेमारी की तब कहीं जाकर ऑफिस में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। मौके पर पहुंची टीम ने देखा कि एक दलाल मुख्य सहायक की कुर्सी पर बैठक लोगों से वसूली कर रहा था। ऐसे में आप खुद ही समझ सकते हैं कि इन दलालों की पहुंच कितने ऊपर तक है। पूरा माजरा क्या है ये भी बताते हैं। 19 नवंबर को एक किसान ने विजिलेंस में शिकायत की थी कि वो अपने ट्रैक्टर का कमर्शियल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बनवाने के लिए दफ्तर गया हुआ था। जहां उसे ऑफिस के काउंटर नंबर 4 पर मुख्य सहायक यशबीर बिष्ट की सीट पर मोनू मलिक उर्फ संदीप बैठा मिला। उसने कहा कि 6 हजार रुपये दो वरना काम नहीं होगा। पैसा लेकर 21 नवंबर को आ जाना। किसान ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की। शिकायत की पुष्टि होने पर विजिलेंस ने टीम बनाई और आरटीओ ऑफिस में जाल बिछाया। जैसे ही मोनू मलिक उर्फ संदीप कुमार ने रिश्वत की रकम पकड़ी विजिलेंस टीम ने उसे धर दबोचा।

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विजिलेंस ने नेटवर्क में शामिल दो दलालों और दफ्तर के मुख्य सहायक को गिरफ्तार कर लिया है। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद आरटीओ दफ्तर में हड़कंप मचा है। जांच में पता चला कि आरोपी मोनू और प्रदीप आरटीओ दफ्तर में मुख्य सहायक की सीट पर बैठकर रजिस्ट्रेशन के नाम पर वसूली करते थे। कुल मिलाकर देहरादून का आरटीओ ऑफिस दलालों का अड्डा बन गया है। कहने को लाइसेंस और टैक्स संबंधी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है, फिर भी जब तक दलालों के जरिए चढ़ावा ना चढ़ाओ आरटीओ दफ्तर में काम ही नहीं होता। लोग परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस और टैक्स जमा कराने के लिए दफ्तर के चक्कर काटते रहते हैं, पर आरटीओ के अधिकारी-कर्मचारी सुनते नहीं। मानों उन्हें लोगों की तकलीफों से कोई मतलब ही ना हो। ऑफिस बाद में खुलता है, दफ्तर के बाहर दलालों की चौकड़ी पहले से तैयार मिलती है। दफ्तर खुलते ही इनका खेल शुरू हो जाता है। ऑफिसों में फाइलें पहुंचने लगती हैं। दलालों के जरिए सेटिंग-गेटिंग का खेल खूब चलता है। दलालों को अधिकारियों की भी शय मिली हुई है। आरटीओ के एक पूर्व अधिकारी का रिश्तेदार भी दलाल है, और उसने दफ्तर के बाहर बकायदा ऑफिस खोला हुआ है। गुरुवार को हुए 62 मिनट घटनाक्रम में आरटीओ में भ्रष्टाचार का जो राज खुला, उसे हर कोई जानता है। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद भले ही आरटीओ में भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म ना हो पाए, पर भ्रष्टाचारियों के मन में डर जरूर पैदा होगा। डीआईजी विजिलेंस कृष्ण कुमार ने कहा कि दोनों दलालों और मुख्य सहायक की कुंडली खंगाली जा रही है। दूसरे विभाग भी रडार पर हैं, भ्रष्टाचारियो को बख्शा नहीं जाएगा।


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