पहाड़ की गरीब बेटी नीलम को मदद की दरकार, आप भी अपना फर्ज निभाएं
नीलम के माता-पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था, दो साल पहले दादा भी चल बसे, अब परिवार में सिर्फ दादी बची है...
Dec 31 2019 5:17PM, Writer:कोमल
पहाड़ की होनहार बेटियां पढ़ना चाहती हैं, आगे बढ़ना चाहती हैं, पर कई बार ऐसा कर पाना आसान नहीं होता। कभी गरीबी तो कभी दूसरी परेशानियां मुंह बाये खड़ी होती हैं, जिनके चलते बेटियों को अपनी पढ़ाई बीच में भी छोड़नी पड़ती है। पौड़ी गढ़वाल की एक होनहार छात्रा भी इस वक्त ऐसे ही मुश्किल दौर से गुजर रही है। इस छात्रा का नाम है कुमारी नीलम...जिसे आर्थिक मदद की दरकार है। हम और आप मिलकर इस बच्ची की मदद कर सकते हैं। उसे ये अहसास दिला सकते हैं कि वो अकेली नहीं है। सभी पहाड़ी भैजी-दीदी उसके साथ हैं। नीलम का पूरा बचपन संघर्ष भरा रहा है, इस बच्ची की कहानी सुन आपकी आंखें भर आएंगी। रिखणीखाल में एक जगह है कोटड़ी पल्ली। नीलम इसी गांव में रहती है। वो सरकारी स्कूल में सातवीं की छात्रा है। नीलम ने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था। माता-पिता के देहांत के बाद उसकी जिम्मेदारी बुजुर्ग दादा-दादी पर आ गई। किसी तरह कुछ साल गुजरे पर दो साल पहले नीलम के दादा जी भी चल बसे।
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अब 80 साल की बूढ़ी दादी उसकी देखभाल कर रही हैं। नीलम पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अव्वल रही है। उसने खो-खो और कबड्डी जैसे खेलों में राज्यस्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। अब तक स्कूल के टीचर ही उसे स्कूल बैग, कॉपी और दूसरी सुविधाएं देते रहे। कुछ लोगों ने नीलम की दादी को उसे आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून के हिमाद्रि शिक्षण संस्थान भेजने की सलाह भी दी थी, पर दादी अपनी पोती को अकेले भेजने का साहस नहीं जुटा पाई। नीलम के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उस पर ये सवाल भी है कि दादी के बाद उसकी देखभाल कौन करेगा। क्षेत्र के समाजसेवी सरकार और जनप्रतिनिधियों से नीलम के संरक्षण की अपील कर रहे हैं। हम भी यही चाहते हैं। सरकार और जनप्रतिनिधियों को नीलम जैसे बच्चों की मदद, उन्हें संरक्षण देने के लिए आगे आना चाहिए। हम और आप मिलकर नीलम की मदद कर सकते हैं, उसकी मदद के लिए अभियान चला सकते हैं। हमारी आपसे अपील है कि जितना संभव हो नीलम के परिवार की मदद करें, इंसानियत के प्रति, पहाड़ की बेटी के प्रति अपना फर्ज जरूर निभायें।